ध्यान करते समय प्रभु के अंगो में ही सभी लोकों का ध्यान करना चाहिए: जीयर स्वामी

 

छठे दिन श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ने से भक्तिमय

महाआरती के साथ शुरू हुआ लक्ष्मीनारायण महायज्ञ

राजकुमार वर्मा/जगदीशपुर:-जियर स्वामी ने छठे दिन प्रवचन करते हुए श्रोताओं से कहा कि सुकदेव जी महाराज ने बताया कि मंगलाचरण का मतलब होता है मंगल करना। जैसे की किसी का विवाह हो रहा हो उसकी भूत, भविष्य, वर्तमान की कामना करना ही मंगलाचरण है। इसके लिए पितरों को गीत गाकर, ऋषियों को, भगवान को, देवताओं को गोहराना ही मंगलाचरण होता है। इसी प्रकार श्री शुकदेवजी ने भी बाद में मंगलाचरण किया कि जो मै कह रहा हूं उससे समाज में परिवार में जो सुनने वाला हो उसका मंगल हो। इसीलिए मंगलाचरण किया जाता है। चाहे भजन के रूप में हो स्तुति के रूप में हो।

स्वामी जी ने आगे कहा कि शुकदेवजी ने परिक्षित को बताया कि जो अच्छे सदाचारी ब्राम्हण हो उसे भगवान का मुख बताया गया है। भगवान के मुख का पूजा करने का मतलब अग्नि का पूजन, रोम का पूजा का मतलब वृक्ष तथा नाड़ी का पूजा से नदियों का, स्वास जो है भगवान का वायु है। भगवान की गति जो है संसार का महायज्ञ का फल मिल गया। भगवान के नेत्र के ध्यान का मतलब अंतरिक्ष का ध्यान कर लिया। उनकी पलकों का ध्यान का मतलब उनकी पलकों का ध्यान करना है। भगवान के पैर के तलवे को ध्यान करते हुए यह मानना चाहिए कि यह पताल लोक है। पैर के अग्र भाग रसातल लोक, दोनो एडी का ध्यान का मतलब महातल का दर्शन, जांघो के ध्यान का मतलब महीतल लोक का दर्शन। दोनो पेंडुली का दर्शन परासर लोक की पूजा, घुटनों का दर्शन सुतल लोक का दर्शन, नाभी का दर्शन करने का मतलब हमने आकाश का, भगवान के वक्षस्थल का पूजा करने का मतलब स्वर्गलोक का दर्शन कर लिया। मुख का दर्शन करने का मतलब जन लोक, ललाट का दर्शन करने का मतलब तपोलोक का दर्शन, सिरोभाग का दर्शन सत् लोक है। भगवान की भुजा की पूजा करने का मतलब इन्द्र की, कान का ध्यान करने का मतलब दिशा का पूजन, इस प्रकार भगवान के अंगो का ध्यान करने से अलग अलग लोकों के परिक्रमा करने का फल प्राप्त होता है। यदि सारे दुनिया के तीर्थ व्रत देवी देवता की पूजा करने की क्षमता नही है तो केवल एक मात्र भगवान नारायण की पूजा कर लिया तो तैंतीस कोटि देवता हैं सभी देवताओं को सातों लोक की अराधना कर लिया।

अध्यात्मिक प्रसंगों को सुनकर भावविभोर हो रहे भक्त

जीयर स्वामी जी महाराज की एक झलक पाने तथा उनका दिव्य उपदेश व प्रवचन सुनने को बच्चे बुड्ढे महिला-पुरुष भक्तगण वायकूल है। आयोजित लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का छठा दिन सोमवार को अहले सुबह महाआरती के साथ शुरू हुआ। जिसमें काफी संख्या में बढ़-चढ़कर महिला-पुरुष श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। अलग-अलग क्षेत्र के जुटने से श्रद्धालुओं की जनसैलाब उमड़ने से यज्ञस्थल रौनक के बीच पूरा माहौल भक्तिमय में तब्दील हो जा रहा है। यज्ञ में शामिल होने वाले हर लोग अपने आप को भाग्यशाली समझ रहे हैं। सोमवार को भी बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश समेत अन्य जगहों के करीब 50 हजार श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप का परिक्रमा, माता रानी का पूजा अर्चना व कई अध्यात्मिक प्रसंगों को सुनकर भक्त भावविभोर हो रहे हैं। यज्ञ समिति ने श्रद्धालुओं के लिए हर तरह की व्यवस्था की है ताकि श्रद्धालुओं का किसी तरह का परेशानी ना हो।


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