दो-चार धार्मिक किताब हर घर में होना चाहिए: जीयर स्वामी

● स्वामी जी के आगमन पर गाजे-बाजे संग पुष्पवर्षा से स्वागत

● प्रवचन सुनने के लिए भक्तों की लगी रही भीड़

● श्रद्धा और आस्था के बीच माहौल बना रहा भक्तिमय

राजकुमार वर्मा/जगदीशपुर:-जगदीशपुर (भोजपुर)। श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि सरकार आतंकवाद व अपराधी को अपने स्तर से समाप्त करने का प्रयास करती हैं। जबकि, हम लोग उसे प्रवचन के माध्यम से सही रास्ते पर लाने का प्रयास करते हैं। वह ऐतिहासिक, धार्मिक व सांस्कृतिक नगरी जगदीशपुर में बहर्षि मां काली मंदिर के जीर्णोद्धार में आयोजित श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में प्रवचन के दौरान श्रोताओं से कह रहे थे। स्वामी जी ने प्रवचन करते हुए कहा कि दो चार धार्मिक किताब हर घर में होना चाहिए। एक गीता प्रेस की किताब है क्या करें क्या न करें। इसको रखना चाहिए। दुसरा है भवन भाष्कर। इसमे घर के बारे में बताया गया है कि कहां खिड़की होना चाहिए, कहां टीवी, बल्ब होना चाहिए। कहां नल होना चाहिए। तीसरा भागवत् महापुराण रखना चाहिए। साक्षात् भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप हैं श्रीमद्भागवत महापुराण। हमेशा पढना चाहिए वह घर देवालय हो जाएगा। इसके पहले जीयर स्वामी जी महाराज के हुए आगमन पर गाजे-बाजे संग पुष्पवर्षा के साथ नप प्रभारी मुख्य पार्षद संतोष कुमार यादव व यज्ञ समिति के सदस्यों ने स्वागत किया। मौके पर वार्ड पार्षद संजय पासवान, सुरेंद्र साह रंजीत राज, ध्रुव जी और बबलू समेत अन्य कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। यज्ञ के चौथे दिन शनिवार को श्रद्धा व आस्था के बीच माहौल भक्तिमय बना रहा। जीयर स्वामी का प्रवचन सुनने के लिए महिला-पुरुष श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी रही। अपने प्रवचन में कहा कि बड़े महापुरूषों का लक्ष्य कहीं गलत नही होता है। उनके अनुयायियों द्वारा तोड़ मरोड़कर ऐसे शब्दों में परोस दिया जाता है। जिससे समाज के लोग अस्त व्यस्त हो जाते हैं। यज्ञ संचालन समिति के संयोजक मिथलेश कुशवाहा, अध्यक्ष राजू बाबा, उपाध्यक्ष मुन्ना चौधरी, सचिव मिलिन्द चौधरी, कोषाध्यक्ष अनिल चौधरी, अमित कुमार उर्फ मुन्ना, शिक्षक आलोक भारद्वाज, उपाध्यक्ष आकाश कुमार, रविन्द्र चौधरी, नारायण सिंह, ललन सिंह, सत्येन्द्र सिंह, सतीश सिंह, श्री भगवान, नंद जी बाबा, मोनु निराला, कुमार आनंद, कुंदन चौबे व मोहित राज सहित सभी सदस्यों ने यज्ञ को सफल बनाने में योगदान दे रहे।

धर्म एक ही है दर्शन हो सकते हैं अलग-अलग

धर्म एक ही है। दर्शन अलग अलग हो सकता है। धर्म एक ही है वह है सनातन धर्म, वैदिक धर्म। सनातन धर्म का अस्तित्व पहले भी था। आज भी है। आगे भी रहेगा। सनातन धर्म हमारे तन में, मन में,व्यवहार में, वाणी में समाया हुआ है। यही है सनातन धर्म। जैसे एक बेइमान, हिंसा करने वाला व्यक्ति को भी लगता है कि हमारे अगली पीढ़ी द्वारा बेइमानी, हिंसा न किया जाए। यही तो है सनातन धर्म। इधर, शनिवार को सुबह चरित्रवन बक्सर समाधिस्थल के पीठाधीश्वर श्री अयोध्या नाथ स्वामी जी महाराज, प्रयागराज व अयोध्या से आए श्री बैकुंठ नाथ स्वामी जी महाराज व मुक्तिनाथ स्वामी जी महाराज का प्रवचन श्रद्धालुओं ने सुना। मीडिया प्रभारी अखिलेश बाबा ने बताया कि स्वामी जी से मिलने हेतु काफी दूर-दूर से लोग जुट रहे हैं। यज्ञ समिति के लोग काफी उत्साह से लगे हुए हैं। आने वाले अतिथियों के लिए रहने खाने की बहुत ही भव्य व्यवस्था की गई है।

विपत्ति को विपत्ति नही व संपत्ति को संपत्ति नही समझना चाहिए

विपत्ति को विपत्ति नही, संपत्ति को संपत्ति नही समझना चाहिए। हमारे पास जो विपत्ति आता है तो महापुरूष लोग यह मानते हैं कि जो मैने किया था उसका मार्जन हो गया। ऐश्वर्य इत्यादि आया तो यह मानते हैं कि सुकृत कर्म कम हो गया ऐसा मानते हैं। सबसे बडा विपत्ति वह है जिसमें हम परमात्मा को भूल जाएं। उनकी संस्कृति, संदेश को भूल जाएं। जिस विपत्ति में हमारे घर में,परिवार में रहन-सहन, उठन-बैठन, बोल चाल, खान पान, सब जहां बिगड़ जाए तो समझना चाहिए सबसे बड़ा विपत्ति यहीं है। यह विपत्ति का समाधान एक मात्र विनाश है। सर्वनाश के अलावा कोई दूसरा उपाय नही है। जहां भगवान नारायण की स्मृति हो जाय। घर परिवार की स्थिति थोड़ी दयनीय हो जाए। जिसने संकल्प ले लिया कि चोरी, बेईमानी, अनीति, अन्याय , कुकर्म, अधर्म नही करूंगा सबसे बड़ा श्रेष्ठ कर्म वह है। एक दिन वह परिवार ऊंचाई पर चढ़ेगा।


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