
कार्रवाही/सफलता — लूट व छिनतई की घटना को अंजाम देने वाले कोढ़ा गैंग के छः सदस्य गिरफ्तार, लुट के चार लाख व चोरी की चार बाईक बरामद
रितेश हन्नी/सहरसा – जिले में लूट एवं छिनतई की घटनाओं को अंजाम देने वाले कोढ़ा गैंग के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। सहरसा पुलिस की कार्रवाई में इन अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से लूट के रुपए भी बरामद किए गए। गिरफ्तार किए गए अपराधी सहरसा , सुपौल, मधेपुरा और खगड़िया जिलों में सक्रिय थे तथा इनके द्वारा लूट की कई घटनाओं को अंजाम दिया गया था। पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने बताया कि सहरसा जिले में हुई लूट व छिनतई की घटनाओं को गंभीरता से लिया गया था तथा इसके बाद काफी सतर्कता बरती जा रही थी।
कई थानों की पुलिस को सादे लिबास में सहरसा जिला में सक्रिय किया गया था। सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी संतोष कुमार के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम का गठन किया गया था। पुलिस अधीक्षक खुद पूरी कार्रवाई की मॉनिटरिंग कर रही थीं। बैंकों के आसपास सादे लिबास में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी ताकि इस गैंग के सदस्यों को जल्द से जल्द दबोचा जा सके। इसी दौरान पुलिस अधीक्षक को सूचना मिली थी कि सदर थाना क्षेत्र के एसबीआई मुख्य शाखा के पास कुछ असामाजिक तत्व संदिग्ध तौर पर देखे जा रहे हैं। इस सूचना के बाद सदर एसडीपीओ संतोष कुमार और सदर थानाध्यक्ष राजमणि को सक्रिय किया गया। उनके सहयोग में आसपास के थानों तथा टेक्निकल सेल और जिला आसूचना इकाई को भी सक्रिय किया गया था। एसबीआई मुख्य शाखा के पास संदिग्ध तौर पर घूम रहे विकास कुमार यादव और अमन कुमार यादव उर्फ चिंटू यादव से पूछताछ की गई।
इनकी तलाशी ली गई तो इनके पास से गाड़ी को डिक्की को खोलने में इस्तेमाल आने वाली चाबी तथा गांजा बरामद हुआ। अमन और विकास से पूछताछ में उन्होंने स्वीकार किया कि कटिहार जिला के कोढ़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत नया टोला जुराबगंज के रहने वाले हैं और सहरसा तथा आसपास के जिलों में लूट की घटनाओं को अंजाम देते हैं, सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत हकपाडा रेलवे लाइन के पास एक किराए के मकान में यह लोग रहते हैं तथा छिनतई की घटनाओं को अंजाम देने के बाद वापस कटिहार निकल जाते हैं। गैंग के सदस्य सहरसा में किराए के मकान में रुकते थे तथा घटना को अंजाम देने के बाद सीधे कटिहार के लिए निकल जाते थे। विकास यादव और अमन यादव से पूछताछ के बाद दोनों ने अपने गैंग दूसरे सदस्यों के बारे में जानकारी दी तथा इनके किराए के आवास पर पुलिस द्वारा दबिश दी गई। गिरफ्तार किए के गए अमन यादव और विकास यादव की निशानदेही पर आदित्य कुमार यादव, रॉकी यादव, विशाल यादव और दीपक यादव को गिरफ्तार किया गया। पुलिस की कार्रवाई में 9 मोबाइल, बारह चाबी, दो नुकीला कीलनुमा टेकुआ, तीन फर्जी आधार कार्ड, एक फर्जी पासबुक, तीन बैग, चोरी की चार मोटरसाइकिल, डेढ़ किलो गांजा तथा चार लाख रूपया बरामद किया गया है। वहीं पच्चीस हजार रूपए गैंग के सदस्यों के पास से बरामद किए गए जबकि पौने चार लाख रूपए इनकी निशानदेही पर कटिहार में हुई छापामारी के बाद कोढ़ा थाना क्षेत्र से बरामद किया गया था।
सहरसा से कटिहार तक पुलिस ने की छापामारी
पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर हुई कार्रवाई के दौरान सदर एसडीपीओ के नेतृत्व में पुलिस ने सहरसा से लेकर कटिहार तक छापामारी की कटिहार के कोढ़ा गांव में भी पुलिस ने लूट के 3,75,000 रूपए बरामद किए। कटिहार के कोढ़ा गांव में छापामारी के लिए सहरसा से भारी संख्या में पुलिस बल भेजा गया था ताकि मुकम्मल कार्रवाई की जा सके। एसडीपीओ के नेतृत्व में सात थानाध्यक्ष और भारी संख्या में पुलिस बल को कटिहार के कोढ़ा भेजा गया था।
रॉकी यादव है गिरोह का सरगना, हुआ गिरफ्तार
झपट्टामार गिरोह का सरगना रॉकी यादव है तथा वही अपने साथियों को 3 जिलों में छिनतई की घटनाओं को अंजाम देता था तथा उसके बाद वापस सुरक्षित कटिहार पहुंच जाता था। गिरफ्तार किए गए सदस्यों ने बताया कि रॉकी यादव पहले रेकी करता था तथा उसके बाद गिरोह के सदस्य 3 टुकड़ियों में बैठकर घटना को अंजाम देते थे। एक बाइक पर सवार होकर पहले टारगेट की रेकी की जाती थी तथा उसके द्वारा इशारा मिलने के बाद दूसरी बाइक पर बैठे दो अपराधियों द्वारा रुपए से भरा बैग छीना जाता था। यदि इस दौरान किसी प्रकार की चूक होती थी तो पीछे तीसरे बाइक पर बैठे अपराधी कवर देने का काम करते थे ताकि वहां से सुरक्षित निकल सकें। गिरोह के सदस्यों ने बताया कि टायर पंक्चर करने के लिए यह लोग नुकीला कीलनुमा टेकुआ रखते थे तथा बैंक के पास या जहां बाइक खड़ी रहती थी वहां टायर में छोटा सा छेद कर देते थे जो कि कुछ दूर जाने के बाद टायर पंक्चर हो जाती थी और उसके बाद यह लोग घटना को अंजाम देते थे। यदि लोगों द्वारा पैसे को डिक्की में रख दिया जाता था तो यह लोग चाबी से डिक्की का लॉक खोल देते थे और उसके बाद पैसे लेकर गायब हो जाते थे। डिक्की को खोलने के लिए उन्होंने अलग – अलग तरह की बारह चाबियां बना रखी थी। गिरोह के सदस्य चोरी की बाइक का इस्तेमाल करते थे तथा इंजन एवं चेचिस नंबर को मिटाते हुए एक फर्जी इंजन एवं चेचिस नंबर चढ़ा देते थे ताकि कभी पकड़ में नहीं आएं। लूट एवं छिनतई की घटनाओं को अंजाम देने में गैंग के सदस्यों को महारत हासिल है।