सूर्यग्रहण के समय छह घंटे तक बंद रहेंगे श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट
वाराणसी। वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट सूर्यग्रहण पर छह घंटे तक बंद रहेंगे। 21 जून को ग्रहण के कारण मध्याह्न भोग आरती को छोड़कर सभी आरती अपने नियम समय पर संपन्न होंगी। रविवार को बाबा के मंदिर के कपाट सुबह 9 बजे से 2:04 बजे तक बंद रहेंगे।
मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने बताया कि सूर्यग्रहण के कारण 21 जून को होने वाली मध्याह्न भोग आरती सूतक पूर्ण होने के बाद की जाएगी। इसमें बाबा को केवल फलाहार का भोग लगेगा। भोग आरती संपन्न होने के बाद बाबा के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।
सूर्यग्रहण और हलहारिणी अमावस्या
आषाढ़ महीने की अमावस्या का धर्मग्रंथों में विशेष महत्व है। 21 जून को सूर्यग्रहण और हलहारिणी अमावस्या का संयोग बन रहा है। इस पर्व पर किए गए दान का महत्व ही अलग है। रविवार को अमावस्या का संयोग अशुभ माना जाता है। सूर्यग्रहण समाप्त होने के बाद दोपहर में ही स्नान और दान किया जाएगा। आषाढ़ अमावस्या पर सूर्यग्रहण के दौरान तर्पण करने से पितरों को तृप्ति मिलती है।

ज्योतिष के संहिता ग्रंथों के अनुसार रविवार को अमावस्या होना अशुभ माना जाता है। इस स्थिति का देश-दुनिया पर अशुभ प्रभाव पड़ता है। इस तिथि पर तीर्थ और पवित्र नदियों में नहाने के साथ ही दान और पूजा-पाठ करने की परंपरा है। वर्तमान हालातों को देखते हुए घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान का फल मिल सकता है।
ग्रहणकाल में बरतें सावधानी:–
आषाढ़ अमावस्या पर ग्रहों की विशेष स्थिति बनने से इस दिन पितरों की विशेष पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। पितरों के लिए इस दिन की गई पूजा से कुंडली में ग्रहों की स्थिति से बने पितृ दोष का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि जिन जातकों को शनिग्रह की अढ़ैया अथवा साढ़ेसाती हो या जन्मकुंडली के अनुसार ग्रहों की महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतरदशा प्रतिकूल हो तथा सूर्य के साथ राहु या केतु हों। उन्हें ग्रहणकाल में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। सूर्य से संबंधित मंत्र का मानसिक जाप करें तथा आदित्यहृदय स्त्रोत या गायत्री मंत्र का जप करें। ग्रहण आद्रा नक्षत्र और मिथुन राशि पर लगेगा, जिसकी वजह से मिथुन राशि विशेष प्रभावित होगी।
शनिवार की रात को ही लग जाएगा सूतक
ज्योतिषाचार्य दीपक मालवीय के अनुसार रविवार को होने वाले सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले यानी शनिवार की रात को 10 बजे से ही शुरू हो जाएगा जो कि ग्रहण के साथ दोपहर 2:30 पर खत्म होगा। इसलिए सुबह सामान्य स्नान करें। सुबह दान और पूजा-पाठ नहीं किए जा सकेंगे। लेकिन ग्रहण खत्म होने के बाद किए गए दान का विशेष महत्व रहेगा।
आषाढ़ अमावस्या पर क्या करें
रविवार को ग्रहण शुरू होने पहले नहा लें। इसके बाद ग्रहण के दौरान पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पूजा-पाठ करें।
ग्रहण के दौरान गाय के घी का दीपक लगाएं। श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लें।
ग्रहण खत्म होने पर संकल्प के अनुसार चीजों का दान करें। इसके बाद गाय को हरी घास खिलाएं, कुत्तों और कौवों को रोटी खिलाएं।
ग्रहण के दौरान महामृत्युंजय मंत्र या भगवान शिव के नाम का जाप करें।
ग्रहण खत्म होने के बाद फिर से नहाना चाहिए। ग्रंथों के अनुसार ऐसा करना जरूरी है।
ग्रहण खत्म होने के बाद अमावस्या तिथि के दौरान गरीबों को भोजन करवा सकते हैं।