लद्दाख के गलावन घाटी में हुई हिंसक झड़प में भोजपुर का बिहार रेजीमेंट जवान चंदन कुमार शहीद,शहादत पर फक्र
वीरता:बहादुरी व पराक्रम दिखाते हुए चंदन देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी
शहादत की सूचना पर गांव समेत पूरे इलाके में गमगीन हुआ माहौल
संवाददाता सूरज कुमार राठी/जगदीशपुर। भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख के गलावन घाटी में हुई हिंसक झड़प में भोजपुर के बहादुर जवान चंदन कुमार शहीद हो गए। उनकी शहादत की खबर से परिजन का रो रोकरबुरा हाल है। शहीद चंदन जगदीशपुर अनुमंडल क्षेत्र के कौरा पंचायत के ज्ञानपुरा गांव निवासी पिता हृदयानंद सिंह और मां धर्मा देवी के सबसे छोटे पुत्र थे। बुधवार की तकरीबन 3:00 बजे चंदन कि शहीद होने की परिवार को सूचना मिली।

सहादत की सूचना प्रसारित होते ही गांव समेत पूरे इलाके में गमगीन माहौल कायम हो गया। गांव जवार से लोग उनके घर पहुंचने लगे। जिस समय चंदन की सहादत की सूचना परिवार को मिली, उस वक्त पैतृक गांव में पिता,मां और उनकी भाभी थी। वह यह खबर पाकर चंदन के वियोग में तड़प तड़प कर रोने लगे।सबसे पहले चंदन कि शहीद होने की जानकारी राजस्थान के गंगा नगर मे आर्मी में तैनात बड़े भाई देवकुमार कुमार को मिला।तत्पश्चात चंदन की शहाद की सूचना माता-पिता और भाभी को दूरभाष के माध्यम से जानकारी मिली।

देखते ही देखते चंदन कि शहीद होने की खबर पूरे इलाके में आग की तरह फैल गई। एक तरफ लोगों में जहां गम व गुस्सा है, तो वहीं दूसरी और अपने भोजपुर के जांबाज सेना का खोने का फक्र भी है। बता दें कि एक माह से चीनी सैनिकों के साथ सीमा विवाद चल रहा है।चीनी सैनिकों के साथ झड़प के दौरान हुई बहादुरी और पराक्रम दिखाते हुए चंदन देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी।
चार भाइयों व चार बहनो में सबसे छोटे थे,वर्ष 2017 में हुए थे बहाल
कौरा पंचायत के ज्ञानपुरा निवासी होमगार्ड के जवान हृदयानंद सिंह के चार पुत्र व चार पुत्री में सबसे छोटा चंदन थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव उसके पश्चात जगदीशपुर नगर स्थित सवारथ साहू प्लस टू हाई स्कूल और आरा शहर के जैन कॉलेज से हुई थी। सन 2017 में सेना के बिहार रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। बताया जाता है कि ट्रेनिंग के पश्चात से ही चंदन सीमा पर पोस्टेड थे।

होली के एक सप्ताह पहले आए थे,छुट्टी के बाद अपने ड्यूटी पर लौटे थे चंदन
चंदन कुमार होली से दस दिन पूर्व अपने पैतृक गांव छुट्टी में लौटे थे, महज 12 दिन ही रह कर अपने ड्यूटी पर वापस लौट गए। बताया जाता है कि चंदन काफी मिलनसार, कर्मठ और हंसमुख स्वभाव के थे। जब भी चंदन अपने गांव आते थे मित्र के साथ समय बिता कर सारी अपनी बात ड्यूटी पर के बताते थे। शहादत की खबर सुनकर मित्र साथी रिश्तेदार सब सदमे में है।
चंदन के सभी भाई सेना में है कार्यरत
बताया जाता है कि शहीद चंदन कुमार के तीनो भाई देश के अलग-अलग जगहो पर सेना में कार्यरत हैं।उनके बड़े भाई देव कुमार सिंह, संजीत कुमार और गोपाल कुमार है। इनमें सबसे छोटा चंदन है। चंदन की शहादत की खबर तीनो भाई को मिल चुकी है। सबसे पहले शहादत की खबर बड़े भाई देव कुमार को मिला था। जो राजस्थान के गंगानगर में कार्यरत हैं। इनमें एक भाई गोपाल कुमार चीनी बॉर्डर पर ही तैनात है। होमगार्ड की नौकरी छोड़ देने वाले पिता अभी गांव पर रहकर खेती-बारी करते हैं।
एक सप्ताह पहले पिता और 4 दिन पूर्व भाभी से हुई थी बात
चंदन कुमार आखिरी अपनी आवाज भाभी को 4 दिन पहले सुनाए थे। इससे पहले वह अपने 1 सप्ताह पहले पिताजी से भी बात किए थे।शहादत की खबर सुनकर मां और पिता सदमे में है। चंदन ने परिजनों को जानकारी दी थी कि यहां पर सीमा विवाद को लेकर तनाव है।जब परिजन ने पूछा हाल-चाल तो चंदन ने बताया सब कुछ ठीक है।
नवंबर में होनी थी चंदन की शादी
बताया जाता है कि चंदन की शादी मई में होने वाली थी। लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते तारीख को बढ़ा दी गई। जो नवंबर माह में चंदन की शादी होने वाली थी। चंदन की शहीद होने से परिवार के कई सपने अधूरे रह गए। बहादुर बेटे की शहादत की खबर सुनकर इलाके में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है।

शहीद के पिता ने की मांग देश के दुश्मनों का पूर्ण सफाया करें सरकार
रूंधे गले से पिता ने कहा कि बेटे को खोने का गम तो पिता ही समझ सकता है पर सुकून इस बात का है कि उनका छोटा बेटा देश के काम आ गया। उनका बेटा अमर हो गया। इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है? चंदन कुमार चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। तीनों बड़े भाई सेना में ही है।पिता हृदयानंद सिंह ने कहा कि मेरे सभी पुत्र देश की सेवा में लगे हुए हैं। देश की सेवा करते करते मेरा बेटा शहीद हो गया। आज मुझे अपने बेटे की शहादत पर फक्र है। शहीद के पिता ने बेटे की शहादत पर सरकार से मांग करते हुए कहा कि देश के दुश्मनों के पूर्ण सफाई के लिए सरकार को बड़ा से बड़ा कदम उठाना चाहिए।