अंधविश्वास की हद:जगदीशपुर में महिलाएं लड्डू व लौंग से कर रही 'कोरोना माई' की पूजा
कोरोना बीमारी को महिलाओं ने कोरोना माई बताया
दूधनाथ बाबा मंदिर परिसर महिलाएं की जुटी भीड़
संवाददाता सूरज कुमार राठी/जगदीशपुर।कोरोना वायरस को लेकर महिलाओं में अंधविश्वास बढ़ता जा रहा है। इसी अंधविश्वास में भोजपुर के जगदीशपुर में महिलाएं ‘कोरोना माई’ की पूजा अर्चना करने लगी है। शुक्रवार को नगर स्थित दूधनाथ बाबा मंदिर परिसर के पोखरा समीप काफी संख्या में महिलाएं पहुंची। हाथों में पूजन सामग्री लिए ये महिलाएं भक्ति गीत गा रही थी। कोरोना बीमारी को महिलाओं ने कोरोना माई बताया।नौ पीस लडडू, नौ गुड़हल का फूल,नौ लौंग व नौ अगरबत्ती से महिलाएं पूजा के दौरान नाराज ‘कोरोना माई’ को मानते हुए उनसे इलाके से चल जाने की गुहार लगा रही थी।

दरसअल अब सवाल यह बनता है कि इनको ये पूजा का आइडिया कहा से आया? जब इनसे बात किया गया तो जो राज से पर्दा उठा तो वो चौंकाने वाला था। पूजा करने आई नगर के वार्ड संख्या चार निवासी कलावती देवी की माने तो एक वीडियो के माध्यम से उन्होंने जाना कि कोरोना को अगर भगाना है तो उनकी पूजा लड्डू, फूल और तिल से करनी होगी। तभी वो अपना प्रकोप कम करेगी और हमें उनसे निजात मिलेगा। वही वार्ड संख्या 15 निवासी पूर्व वार्ड पार्षद पूनम देवी को भरोसा है कि इससे ‘कोरोना माई’ अपने घर चली जाएगी।जिससे वायरस भी खत्म हो जाएगा। इसलिए वो अगरबत्ती और फल-फूल लेकर पूजा करने पहुंची थी।ऐसे में जब उनसे सवाल किया क्या यह अंधविश्वास नहीं है तो उन्होंने कहा कि अगर ऐसी बात है तो हमारी आस्था अंधी है हम पूजा में विश्वास करते हैं। महिलाओं को अंधविश्वास या विश्वास से कोई भी लेना-देना नहीं है। ऐसे में शुक्रवार को रिमझिम बारिश के बीच महिलाओं ने ‘कोरोना माई’ की पूजा को पूरा किया।चिंता की बात यह भी है कि इन महिलाओं में सामाजिक दूरी व मॉस्क भी नहीं देखा गया। एक वीडियो से शुरू हुआ इस अंधभक्ति की हवा भोजपुर के जगदीशपुर में बयार बन गई है।

सोशल मीडिया से मिला अंधविश्वास को हवा——-
आधुनिक दौर में सोशल मीडिया पर की जाने वाले बातें बहुत ही कम समय में लोगों तक पहुंच जाती है। व्हाटसएप और फेसबुक के अलावा तमाम सोशल मंचों पर इस पूजा के विषय में कुछ लोगों ने पोस्ट कर दिया। शेयर इतनी तेज हुई कि यह बात घर में बैठी गृहणी महिलाओं तक पहुंच गई और सुबह होते ही शुरू हो गया अंधविश्वास का दौर। दोपहर तक महिलाओं ने पूजा किया।