जुमातुल विदा की नमाज़ का विशेष महत्व पर मस्जिदे रही खाली

ईद उल फितर से पहले रमजान के महीने का आखिरी शुक्रवार का मुस्लिमों में विशेष महत्व है

संवाददाता एहराज़ अहमद/सहार:- कोशिशों के बावजूद भी कोरोना वायरस संक्रमण हमारे देश में बढ़ रही है। मुस्लिमों ने विशेषकर रमजान के मुबारक महीने में फर्ज नमाज़ों, जुमा,तरावीह की अदायगी में स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों का जिस तरह से पालन किया है वह बेमिसाल है। रमजान के इस पाक महीने में जुमे का अपना एक खास महत्व होता है।

विशेषकर रमजान के आखिरी जुमा जिसे जुमातुल विदा कहते हैं जिसका अर्थ विदाई का शुक्रवार जो ईद से ठीक पहले वाला जुमा होता है। इस्लामी संस्कृतियों और परंपराओं के अनुसार सप्ताह का हर शुक्रवार एक विशेष दिन होता है जिस दिन मुस्लिम को अल्लाह से आशीर्वाद और गुनाहों से तौबा मांगने का होता है। जुमातुल विदा के दिन मुस्लिम समाज के लोग रमजान के महीने में किए गए कुरान की तिलावत अल्लाह की इबादत,तराविह, एवं किए गए हर नेक काम को याद कर अल्लाह से आशीर्वाद प्राप्त करने का दिन होता है।

इस दिन मुस्लिम समाज के लोग अल्लाह से अपनी गुनाहों की माफी तथा किए गए नेक काम जैसे गरीबों असहायों को फितरा जकात जैसे सेवा के लिए अल्लाह को राज़ी करने के लिए विशेष दुआ मांगते हैं। जुमा तूल विदा के दिन मुस्लिम विशेष संख्या में मस्जिदों में जुट कर दुनिया में शांति, सफलता और सद्भाव के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं।
विशेष रुप से अल्लाह की इबादत वर्ष के दौरान कभी भी की जा सकती है इसके लिए कोई विशेष दिन नहीं है। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान का पाक महीना और विशेषकर जुमा तुल विदा एक विशेष समय है जब हम उस सर्वशक्तिमान के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं। पाक कुरान के अनुसार रोजे, नमाज,जकात और हज हमारे ईमान को मजबूत बनाती हैं और मरने के बाद किए गए यह काम जन्नत का रास्ते आसान करेंगे। रमजान वह विशेष माह है जिसमें इस्लाम के अनुयाई नियमित रूप से नमाज पढ़ते हैं इबादत करते हैं और रोजे रखते हैं। रोजा ऐसा उपवास है जो बिना एक बूंद पानी भी पिए सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रखते हैं। 30 दिनों के अंत में चांद को देखे जाने के बाद अगले दिन ईद मनाई जाती है। परंतु लॉक डाउन एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों को देखते हुए मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी यह सारी नमाजे विशेष रुप से जुमा तूल विदा और ईद की नमाज अपने घरों में पढ़ने की गुजारिश की है। ऐसे में सहार, पेऊर,खैरा,छतरपुरा,गंज एवं गुलजारपुर मैं मुस्लिमों ने जुमे की नमाज अपने अपने घरों में पढ़ी और ईद की नमाज भी घरों में पढ़ने की तमाम लोगों से गुजारिश की है।


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