बुढ़ापे में बाबू कुंवर सिंह ने रचा वीरता का इतिहास,80 वर्ष की उम्र में नहीं झुके अंग्रेजों के आगे
कुंवर सिंह ने अंग्रेजों की दमनकारी नीति के खिलाफ 80 वर्ष की उम्र मे जो पराक्रम दिखाया वो काबिले तारीफ
संवाददाता सूरज कुमार राठी/जगदीशपुर। शाहाबाद वीरो की भूमी है।बाबू वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों की दमनकारी नीति के खिलाफ 80 वर्ष की उम्र मे जो पराक्रम दिखाया वो काबिले तारीफ है। उसकी दुनिया भर मे मिशाल दी जाती है।साल 1857 में अंग्रेजों की बढ़ती शक्ति के खिलाफ जिन देशभक्तों ने हथियार उठाए थे, उनमें बाबू कुंवर सिंह का नाम अग्रणेय है।बाबू कुंवर सिंह की जन्मस्थली जगदीशपुर भोजपुर जिला मुख्यालय से करीब 32 किलोमीटर दूर स्थित है। ऐतिहासिक नगरी को राज्य सरकार ने 23 जून 1993 को अनुमंडल का दर्जा दिया था। जगदीशपुर नगरपालिका की स्थापना ब्रिटिश काल में वर्ष 1869 में ही हुई थी। यह वर्तमान समय में नगर पंचायत के नाम से जाना जाता है।कुंवर सिंह का ऐतिहासिक किला यादगार के रूप में पुरानी इमारत के दो खंभे के बीच खड़ा पुनर्निर्माण के बाद भी उस युग के मौन साक्षी की तरह है। किला में एक हालनुमा कमरा है। जो बाबू कुंवर सिंह संग्रहालय के नाम से जाना जाता है। इसमें बाबू वीर कुंवर सिंह की स्मृति से जुड़ी अस्त्र-शस्त्र और अन्य चीजें रखीं गई हैं।प्रथम विद्रोह का बिगुल फूंकने वाले बाबु कुंवर सिंह ने अपनी छोटी सी सेना के बावजूद अंगरेजो के छक्के छुड़ा दिए थे, उनका व्यक्तित्व आनेवाले कई पीढ़ियों को प्रेरित करता रहता रहेगा। वे राष्ट्रीय आजादी के स्वाभिमान के प्रतीक बने रहेंगे।लेकिन देश के लिए अपने प्राणों की आहूति देनेवाले स्वतंत्रता संग्राम के असली महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह आज अपने ही जन्मभूमि में बेगाने बने हुुुए है।बाकुड़ा बाबु कुंवर सिंह के अदम्य साहस व पराक्रम से अंग्रेज अफसर थर-थर कांपते थे। यही कारण है कि आज से 161 वर्ष पहले अंग्रेजों ने कुंवर सिंह को पकड़ने के लिए 25 हजार का इनाम रखा था। आज की तारीख में यह रकम अरबों में होगी।

जानकारी के अनुसार 12 अप्रैल 1858 को अंग्रेज़ी हुकुमत के गवर्नर जनरल के आदेश पर जनरल के सचिव जी.एफ. एडमास्टन ने कुंवर सिंह पर 25 हजार इनाम घोषित किया था। आदेश में कहा गया था कि ‘ यह सूचित किया जाता है कि उस व्यक्ति को 25 हजार रुपये पुरस्कार स्वरूप दिए जाएंगे जो जगदीशपुर के विद्रोही बाबू कुंवर सिंह को जीवित रूप में किसी भी ब्रिटिश सैनिक चौकी अथवा कैम्प में सुपुर्द करेगा। साथ ही इस पुरस्कार के आलावा पहली तारीख को जारी सरकारी 470 में उल्लेखित बातों के अतिरिक्त किसी भी बलवाई अथवा भगोड़े सैनिक अथवा किसी भी विद्रोही को क्षमा कर दिया जाएगा जो उपयुक्त कुंवर सिंह को सुपुर्द करेगा।’ अंग्रेज अफसर के इस आदेश से लगता है कि महानायक से अंग्रेज कितना खौफ खाते थे।
जानना जरूरी:बाबू कुंवर सिंह व उनके किले से जुड़े तथ्य
1782 में हुआ था कुंवर सिंह का जन्म
23 अप्रैल 1858 को कुंवर सिंह ने मनाया विजयोत्सव
26 अप्रैल 1858 को कुंवर सिंह का हुआ था निधन
23 अप्रैल 1955 को जगदीशपुर में मनाया गया प्रथम विजयोत्सव समारोह
प्रथम विजयोत्सव समारोह में भाग लिए थे देश के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद
वर्ष 1971 में जगदीशपुर का ऐतिहासिक किला व संग्रहालय हुआ पुरातत्व विभाग के अधीन