लक्ष्मी नारायण महायज्ञ मे उमड़ी सैलाब।

 

बखोरापुर में श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने हेतु काफी दूर-दूर से महिला तथा पुरुष हजारों की संख्या में जुट रहे हैं। स्वामी जी के यज्ञ को लेकर वहां का दृश्य एक तीर्थ स्थल में बदल चुका है। एक तरफ जय मां काली बखोरापुर वाली का भव्य दरबार और दूसरी तरफ श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन।एक तरफ बड़े भव्य पंडाल में भंडारे का आयोजन हो रहा है जिसमें प्रसाद बांटे जा रहे हैं

तथा दूसरी तरफ भव्य पंडाल में श्री जीयर स्वामी जी महाराज का प्रवचन सुनने हेतु काफी दूर-दूर से लोग हजारों की संख्या में जुट रहे हैं। सुबह से ही स्वामी जी के दर्शन को लेकर काफी संख्या में लोगों का जुटना शुरू हो जा रहा है। सुबह 8:30 बजे से महाआरती में काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं उसके बाद श्री वैकुंठनाथ स्वामी जी महाराज श्री अयोध्या नाथ स्वामी जी महाराज तथा श्री मुक्तिनाथ स्वामी जी महाराज का प्रवचन का लोग रसपान कर रहे हैं।

18 फ़रवरी को महाशिवरात्रि को लेकर भव्य तरीके से यज्ञ समिति के द्वारा आयोजन किया गया है कार्यक्रम का आयोजन 2:00 बजे से लेकर 6:00 बजे साम तक चलेगा जिसमें हजारों की संख्या में लोगों के लिए प्रसाद की व्यवस्था की जा रही है। जिसमें काफी संख्या में दूर-दूर से लोगों की आने की उम्मीद है। काशी मथुरा बनारस आदि जगहों से काफी संख्या में संत का समागम हो चुका है।बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश आदि जगहों से भी लोग स्वामी जी के दर्शन करने हेतु आ रहे हैं। और वही जय मां काली बखोरापुर वाली का भी दर्शन कर रहे हैं। इन दिनों जय मां काली बखोरापुर वाली मंदिर मैं भी काफी संख्या में भीड़ जुट रही है। स्वामी जी महाराज ने कहा कि बखोरापुर एक बहुत बड़ा धाम बन चुका है।स्वामी जी ने महाराज ने कहा कि सिर्फ यज्ञ मंडप में हवन करना ही यज्ञ नहीं है यज्ञ के लिए समर्पित भाव से सेवा करना भी यज्ञ करने जैसा ही है।

समाज में अच्छा कार्य करना भी एक प्रकार का यज्ञ है स्कूल कॉलेज बनवाना भी एक प्रकार का यज्ञ है। दूसरे का सेवा करना भी एक प्रकार का यज्ञ है किसी का भलाई करना भी एक प्रकार का यज्ञ है।उन्होंने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि मनुष्य का कर्म प्रधान है क्योंकि पूजा पाठ करते रहिए और गलत काम करते रहिए इससे कुछ भी फायदा नहीं होने वाला है। रोज प्रवचन सुनते रहिए और गलत मार्ग पर चलते रहिए इससे कोई फायदा होने वाला नहीं है। अतः मनुष्य को प्रवचन सुनने गंगा स्नान करने का मतलब होता है कि संकल्पित भाव से अपने द्वारा संकल्प लिया जाए कि आज के बाद हम गलत काम नहीं करेंगे। अगर आप जीवन में गलत काम करना नहीं छोड़ते हैं और बार बार उसको दोहराते हैं तो फिर पूजा पाठ करना प्रवचन सुनना इसका कोई मायने नहीं रह जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम बन बन भटकते रहे अनेकों प्रकार की परेशानियां झेलते रहे फिर भी अपनी मर्यादा का उन्होंने त्याग नहीं किया। माता पिता का वचन रखने के लिए मर्यादा का पालन करने के लिए उन्होने बनवास को स्वीकार कर लिया।लेकिन वे कभी भी मर्यादा से हटकर जीना अच्छा नहीं समझा। इसलिए व्यक्ति को जीवन में मर्यादा के साथ जीवन जीना चाहिए उन्होंने कहा कि जब हरि की कृपा होती है तो सच्चे संत का दर्शन होता है उन्होंने संत दर्शन का महत्व को बताते हुए कहा कि जो मनुष्य के भाग में सात जन्म तक मिलने वाला नहीं होता है वह संत दर्शन से मिल जाता है अगर किसी के जीवन में सच्चे संत का दर्शन हो गया तो समझ लें उसके जीवन का कल्याण हो गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरे गांव के लोग तन मन से लगे हुए हैं। उज्जवल सिंह रामकुमार सिंह रितेश सिंह कमलेश सिंह संजय सिंह सहित काफी संख्या में लोग यज्ञ को सफल बनाने में लगे हुए हैं।


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