
बखोरापुर में हो रहे श्री जियर स्वामी जी महाराज के सानिध्य में लक्ष्मी नारायण महायज्ञ
बड़हरा :- बड़हरा प्रखंड अंतर्गत बखोरापुर में हो रहे श्री जियर स्वामी जी महाराज के सानिध्य में लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दूसरे दिन यज्ञ मंडप में अरणी मंथन के साथ यज्ञ मंडप में पूजा पाठ तथा परिक्रमा का कार्यक्रम शुरू हुआ। कार्यक्रम में सम्मिलित होने हेतु काफी दूर-दूर से महिला तथा पुरुष आए हुए थे। काशी मथुरा बनारस आदि जगहों से आये आचार्यों के मंत्रोचार से पूरा क्षेत्र भक्तिमय बन गया। अरणी मंथन होते हीं पूरा क्षेत्र जयकारे से गूंज उठा। यज्ञ मंडप का परिक्रमा करने हेतु काफी संख्या में लोग दूर-दूर आ रहे हैं। स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि
गृहस्थ जीवन में रहकर परमात्मा से जीवन जोड़ने पर भटकाव नही रहता। पत्नी को छोड़ने वाला, घर को छोड़ने वाला, परिवार को छोडने वाला हो सकता है कभी परिवार, घर पत्नी पर स्नेह मोह आ भी सकता है। लेकिन अपने परिवार में रहते हुए परमात्मा से अपना जीवन जोड़ते हैं तो कहीं भटकने की गुंजाइश नही रहती है। यही गृहस्थ के लिए सबसे श्रेष्ठ है। सबसे सरल और सहज उपाय है परिवार पत्नी बाल बच्चे में अपने आप स्थित होते हुए घर में परमात्मा की सत्ता मान करके, परमात्मा के कारण मान करके, परमात्मा के आज्ञा मान करके उनके साथ रहें।
परमात्मा की कथा का करने से चंचल मन भी गलत मार्ग पर नही जाता। वह परमात्मा जो पुरे दुनिया में हैं। पुरे दुनिया की स्थिति में हैं ऐसे को जान करके उनके नाम, गुण, लीला, धाम तथा उनके चरित्र को सुनिए। सबसे पहले सुनिए, फिर कीर्तन करीए, स्मरण करीए तब उनके गुणों को अपने हृदय में उतारीए। उतारने से एक दिन कितना ही चंचल मन होगा गलत मार्गों की ओर नही जाएगा। अच्छे मार्गों पर उसकी सत्ता उसका मन हो जाएगा। कब जब बार बार परमात्मा के चरित्रों को सुनेंगे तब। हर जगह यह बात बताई गई है श्रवण भक्ति की यह बात बताई गई है यदि सुनने से हमारे किसी भी स्थिति का निराकरण होगा, इसलिए सुनना चाहीए, पीना चाहिए क्योंकि हो सकता है सुन करके विस्मरण हो जाते हैं। भूल जाते हैं। लेकिन कर्णरूपी प्याला से ऐसा पीयो की भीतर बैठ जाए।