
जीवन सुख जाता है लेकिन कला जिंदा रहती है : निलय उपाध्याय
शुभम सिन्हा/आरा:20 दिवसीय अभिनय एंड एक्टिव क्रिएटिव थिएटर के तेरहवें दिन देवो के देव महादेव सीरियल के लेखक निलय उपाध्यक्ष कार्यशाला में बच्चों के साथ ज़ूम पर जुड़े। इस दौरान उन्होंने बताया कि आरा शहर खुद एक कलाकारों का शहर है। यहां के सभी लोग कलाकार है। वहीं उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि आप कला के क्षेत्र में सामने आ रहे हैं। कला की पहचान से आने वाले समय में भी आरा का नाम रोशन होगा।
शहर को नई ऊंचाई मिलेगी। फिर उन्होंने कला के बारे में बताया कि कला सच्चाई से रूबरू कराती है। आप लोगों को इस बात को समझना होगा कि जीवन से कला अलग है। वरना कला को नाम देने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि जीवन सुख जाता है लेकिन कला जिंदा रहती है। जिसने पहली बार सोहर की जीत गायी थी, वह जिंदा नहीं है। लेकिन अभी तक गीत जिंदा है। कला कला समाज को पॉजिटिव थिंक देती है। उसके बाद दूसरे सत्र में संगीतकार नागेंद्र पांडेय ने बच्चों को संगीत के गुर सिखाए। सभी को ताल और लय के बारे में बताया। उसके बाद डॉ विजय गुप्ता का जन्मदिन केक काटकर मनाया गया। मौके पर रवींद्र भारती, ओपी पांडेय, शैलेन्द्र सच्चु, मनोज श्रीवास्तव मौजूद थे।