संगीत और योग भारतीय परम्परा का सिरमौर : बक्शी विकास

आरा:-  विश्व संगीत दिवस के अवसर पर शिवादी क्लासिक सेंटर ऑफ आर्ट एंड म्यूजिक की ओर से वर्चुअल संगीत सरिता कार्यक्रम  का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कथक गुरु बक्शी विकास ने कहा कि संगीत और योग भारतीय परम्परा का सिरमौर हैं जिससे पूरा विश्व लाभान्वित हो रहा है। संगीत की 22 श्रुतियों की अनुगुंज मानव शरीर के भीतर के स्थित विभिन्न चक्र से उठती हैं। संगीत की श्रुतियों की साधना योग को परिलक्षित करता है। योग शारीरिक और संगीत मानसिक रोगों को दूर करता है। इस कार्यक्रम में नई दिल्ली से चर्चित तबला वादक अमृतेश शांडिल्य ने स्वतंत्र तबला वादन प्रस्तुत करते हुए विभिन्न कायदों व बंदिशे सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं बंगाल की मशहूर गायिका श्रीना राय ने उप शास्त्रीय गायन से दर्शकों का मन मोह लिया। विदुषी विमला देवी ने राग मेघ मल्हार में तीन ताल की बंदिश बरसे बदरा संग अखिया पिया को तरसे व एकताल की बंदिश झीनीर झीनीर बरखत बरखा की रस फुहार प्रस्तुत कर समां बांधा। मशहूर कथक नृत्यांगना व शिवादी की निदेशिका आदित्या श्रीवास्तव ने गालिब की ग़ज़ल ” हर एक बात पर कहते हो की तू क्या है” पर भाव प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी। युवा कथक नृत्यंगाना सोनम कुमारी ने कथक में गणेश वंदना “गाइए गणपति जगवंदन, तीन ताल में उपज थाट, आमद, परण तोड़ा, लरी एवं ठुमरी रोको ना डगर मोरी श्याम पर भाव प्रस्तुत कर तालियां बटोरी। गुरु बक्शी व विकास ने बहादुर शाह जफर की ग़ज़लों को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में सीवान की उभरती कथक नृत्यांगाना सृष्टि प्रिया ने मैं राधा तेरी मेरा श्याम तू पर कथक की भाव भंगिमाओं को जीवंत किया। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन अमित कुमार ने किया।

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